कोरोना : जैविक युद्ध की शुरुआत – क्या हकीकत क्या फ़साना? (Corona : A biological war Weapon)


और अब जब देश कोरोना की दूसरी लहर से बहार निकलने की तरफ बढ़ रहा है ऐसे में एक सवाल सब लोगो के मन में बार बार आ रहा है कि क्या कोरोना वायरस मानव द्वारा निर्मित एक जैविक हथियार है जिसे या तो चीन या फिर इटली या फिर किसी और देश ने बनाया है । हम भारतीयों को ज्यादा सोचने की जरुरत ही नहीं है क्योकि अगर आप चीन का नाम लोगे तो कोई भी बोलेगा की ये उन्ही लोगो का बनाया हुआ बहुत ही घातक जैविक हथियार है जिसे वहां की लैब में बना कर तैयार किया गया और जिसे चीन की आर्मी को सौंपा जाना था ताकि वो इसका इस्तेमाल करके किसी भी युद्ध में अपना परचम लहरा सके।

लेकिन जरा रुकिए !

किसी भी निर्णय से पहले इन सब दावों की जाँच कर लेना बहुत जरुरी है की क्या सच में ये संभव है ?

इस सम्बन्ध में आपको इंटरनेट पर बहुत से आर्टिकल मिल जायेंगे जिनमे इन सब बातो की पड़ताल की गयी है कि :

  • क्या कोरोना वायरस एक जैविक हथियार है ?
  • अगर कोरोना वायरस इतना खतरनाक था तो चीन में इसका असर क्यों नहीं हुआ ?
  • क्या इस वायरस को भारत और अमेरिका जैसे देशो के खिलाफ एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया ?
  • चीन ने WHO को इस वायरस के बारे में देरी से क्यों बताया ?

और आखिर में

  • अगर ये एक मानव निर्मित वायरस है तो इसके पीछे चीन की क्या मंशा थी?

आज हम भी इन्ही कुछ सवालो के जवाब ढूंढने कि कोशिश करेंगे जो पिछले कई सालो से इंटरनेट पर उपलब्ध दस्तावेजों और ब्लोग्स का संग्रह होगा।

जैविक युद्ध हथियार (बायोलॉजिकल वॉर वेपन) क्या होता है ? (What is Biological War Weapon?)

विश्व स्वास्थय संघटन के अनुसार जैविक युद्ध हथियार बहुत ही सूक्ष्म प्रकार के जीवाणु, बैक्टीरिया, फफूंदी या फिर कोई संक्रमण फ़ैलाने वाले कवक होते है जिन्हे जानबूझकर मानव, जानवरो या पेड़ पोधो के खिलाफ खतरनाक इरादों के साथ इस्तेमाल किया जाता है।

एंथ्रेक्स, बोटुलिनम टॉक्सिन और प्लेग जैसे जैविक एजेंट एक कठिन सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती पैदा कर सकते हैं, जिससे कम समय में बड़ी संख्या में मौतें हो सकती हैं, जबकि इसे रोकना मुश्किल है। जैव-आतंकवाद के हमलों के परिणामस्वरूप महामारी भी हो सकती है, उदाहरण के लिए यदि इबोला या लासा वायरस को जैविक एजेंटों के रूप में इस्तेमाल किया गया था।

जैविक हथियार सामूहिक विनाश के हथियारों के रूप में संदर्भित हथियारों के एक बड़े वर्ग का एक उपसमूह है, जिसमें रासायनिक, परमाणु और रेडियोलॉजिकल हथियार भी शामिल हैं। जैविक एजेंटों का उपयोग एक गंभीर समस्या है, और जैव आतंकवादी हमले में इन एजेंटों का उपयोग करने का जोखिम बढ़ रहा है। Source : WHO

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सामूहिक विनाश के जैविक और रासायनिक हथियारों का उपयोग करने वाली पहली सेना जर्मनी कि सेना थी। हालांकि एंथ्रेक्स और ग्लैंडर्स का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन वे हमले बहुत सफल नहीं थे। युद्ध समाप्त होने के बाद, एक जैव-हथियारों की दौड़ शुरू हुई क्योंकि भविष्य में संघर्ष होने पर अन्य देशों को नुकसान होने का डर था।

कुछ उदाहरण है जब जैविक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था:

जैव हथियार हमले का सालजैव हथियार इस्तेमाल किया गया
1155इटली के सम्राट बारब्रोसा ने पानी के कुओं को जहर और मानव शरीरो से भर दिया
1346मंगोलिया के क्रीमिया प्रायद्वीप की शहर की दीवारों पर प्लेग पीड़ितों के शवों को टांग दिया गया था।
1495इटली के नेपल्स में फ्रांसीसी दुश्मनों को बेचने के लिए कुष्ठ रोगियों के खून के साथ शराब बेचते थे।
1650पोलिश (पोलेंड) में अपने दुश्मनों की ओर पागल कुत्तों कि लार कि बरसात कि गयी
1675‘जहर की गोलियों’ का इस्तेमाल नहीं करने के लिए जर्मन और फ्रांसीसी सेनाओं के बीच पहली डील
1763ब्रिटिशो ने चेचक के मरीजों के इस्तेमाल किये गए कम्बल अमेरिकियों को बांटे ।
1797मलेरिया के प्रसार को बढ़ाने के लिए नेपोलियन ने इटली के मंटुआ के आसपास के मैदानी इलाकों में बाढ़ ला दी
1863अमेरिकन्स ने यूरोपियन सैनिको को पीले बुखार और चेचक के रोगियों से कपड़े बेचे।
Details of Biological weapon used by nations

तो क्या कोरोना एक जैविक हथियार है ? (Is CORONA is a biological weapon?)

केवल समय निश्चित रूप से बताएगा, लेकिन कई लोगों को संदेह है कि 2020 से अब तक दुनिया में आयी कोरोना वायरस की सुनामी एक महामारी एक रेंडम म्यूटेड वायरस नहीं है, बल्कि किसी एक दुष्ट देश द्वारा अपने दुश्मनों को उनके घुटनों पर लाने के उद्देश्य से एक नापाक कार्य है।

कोरोना वायरस को जैविक हथियार मानने के पीछे यह भी एक कारण है कि कि पिछले कुछ दिनों से ये बात इस बात ने जोर पकड़ लिया है कि कोरोना वायरस (SARS-CoV-२) वास्तव में एक प्रयोगशाला से आया है। बहुत से लोगो ने कोरोना वायरस को चीन में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से एक रिसाव (या दुर्भावनापूर्ण रिलीज) को जिम्मेदार ठहराया है। वुहान वो ही शहर है जहां वायरस का पहली बार पता चला था।

विशेषज्ञों ने लंबे समय से इस बात की भी चेतावनी दी है कि इस तरह के घातक जैव हथियार का इस्तेमाल एक दिन पूरी तरह से विनाश के लिए किया जाएगा। कोरोनावायरस उस भयानक भविष्यवाणी के लिए वास्तविक जीवन का एहसास हो सकता है या नहीं भी हो सकता है, लेकिन एक बात जो निश्चित रूप से कम से कम है कि इस तथ्य के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि जैव-हथियार वास्तविक खतरा है और इसका उपयोग किसी के द्वारा भी किया जा सकता है।

लेकिन वैज्ञानिकों को ये बात अभी भी समझ में नहीं आ रही है कि कोई वायरस जो इतनी तीव्र गति से आगे फ़ैल रहा है या फ़ैल जाता है, क्या उसे किसी लैब में बनाया जा सकता है? दूसरी बात, वायरस की उत्पत्ति के बारे में अभी भी कई सवाल है। जिनमे से प्रमुख प्रश्न ये हैं कि इसकी उत्पत्ति के बारे में अभी तक किसी को भी कोई खास तथ्यात्मक सबूत नहीं मिले है तो असल में हम ये कैसे कह सकते है कि हम एक जैव हमले के शिकार हुए है या नहीं ?

“हम शायद कभी भी 100% इस बात को लेकर निश्चित नहीं हो पाएंगे कि कोरोना वायरस एक जैव हथियार है। लेकिन हम 95% से 98% तक ये कह सकते है कि ये प्राकर्तिक रूप से पैदा हुआ है।”

डॉ मेगन स्टेन, संक्रामक रोगों कि व्याख्याता और वायरोलॉजिस्ट
(Dr Megan Steain, lecturer in infectious diseases & immunology at the University of Sydney)

ऐसा इसलिए है क्योंकि जो जीनोम कोरोना वायरस में पाया जाता है उसे दुनिया भर की कई प्रयोगशालाओं द्वारा अनुक्रमित किया गया है और वैज्ञानिकों द्वारा इसकी जांच की गई है।

अब तक, वैज्ञानिकों ने चमगादड़ो में पाए जाने वाले Bat CoV RaTG13 को SARS-CoV-2 का सबसे समानांतर रिलेटिव पाया है । इसमें महत्वपूर्ण बात ये है कि दोनों वायरस में जो इंसानो को प्रभावित करने वाले कोरोनावायरस और चमगादड़ो वाले वायरस में एक बड़ा अंतर है और वो है इसका स्पाइक प्रोटीन जो कोरोना वायरस को इंसानो को संक्रमित करने में अपना प्रभावी किरदार निभाता है ।

Brown Bird on Green Tree
Image Courtesy: https://www.pexels.com/photo/brown-bird-on-green-tree-7415859/

इसमें एक बात ये भी है कि कोई भी वैज्ञानिक लैब में बिना कोई पुराने वायरस को लेकर नया वायरस नहीं बना सकता है । SARS – Coronavirus के पहले स्वरुप में एक बात ये थी कि वो किसी एक खास वातावरण में ही अपना प्रभाव बढ़ता था और उसकी भौगोलिक पहुंच विश्व के खास हिस्से तक ही सिमित थी। लेकिन जो स्पाइक प्रोटीन कोरोना वायरस में पाया जाता है उस बढ़ने के लिए किसी भी प्रकार का खास वातावरण नहीं चाहिए। तो अगर किसी देश के वैज्ञानिको ने इसे बनाया है तो जाहिर है उसका प्रभाव एक खास भौगोलिक क्षेत्र तक ही होना था जो कि नहीं हुआ।

वैज्ञानिको कि माने तो कोरोना वायरस एक जैविक हथियार नहीं है । लेकिन वर्तमान में अमेरिकी खुफिया एजेंसीज को इस बात के सबूत मिले है कि कोरोना वायरस के प्रसार में वहां स्थित लैब का हाथ है और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस राज का पर्दा फाश करने लिए 90 दिनों का समय दिया है ।

वैसे कोरोना के बारे में पढ़ते देख कर आपको जरूर विचार आ रहा होगा कि अब तक कोरोना के कारण कितने लोग संक्रमित हो चुके है निचे दिए या वीडियो पर क्लिक कर के आप कोरोना के ताजा आंकड़ों जान सकते है। (कोरोना लाइव ट्रैकर)।

ये केवल एक वायरस है जो बहुत से जीनोम श्रृंखला के एक साथ मिलने से बना है और अपनी अनोखी ताकत के कारण हर बार हर सीजन में अपना स्वरुप बदल कर मानव शरीर में तबाही मचा रहा है।

अगर कोरोना वायरस इतना खतरनाक था तो चीन में इसका असर ज्यादा क्यों नहीं हुआ ? (If Corona virus is so bad, why it has not much impact to China where it originated?)

किसी भी महामारी के दौरान लोकतंत्र के खिलाफ आवाज को खड़ा करना आम बात हो गयी है, लेकिन चीन जैसे कम्युनिस्ट देश में कोविड -19 से संभालने हेतु एक अधिक प्रभावी शासन प्रणाली की संरचना की गयी है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी जो वहां की वर्तमान सरकार है ने बहुत ही कड़ाई से और सख्त नियमो के चलते इस वैश्विक महामारी को काबू पाने की कोशिश की है। साल २०१९ में जब पहला मामला सामने आने के बाद जब इस बात का पता लगा की ये एक हवाजनित रोग है और एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है , सर्वप्रथम २३ जनवरी २०२० में वुहान शहर में लॉक डाउन लगा दिया। इसमें सबसे पहले सभी तरह के पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बंद कर दिया गया। सभी तरह के कार्यक्रम जिनमे लोगो के जमा होने का अंदेशा होता है , रद्द कर दिए गए। और हाँ, चीन की जनता के पास नकारने या फिर इन सब पाबंदियों को मना करने का अधिकार नहीं होता है। इसका नतीजा ये हुआ की जिन जिन इंसानो में ये वायरस फैला था , उनको ट्रेस और ट्रैक करना आसान हो गया। इसमें ध्यान देने वाली बात ये रही की सभी तरह की इमरजेंसी सेवाओं को बहुत ही कड़ाई के साथ खुला रखा गया जिस से आम जान जीवन प्रभावित नहीं हुआ। इसके साथ ही सरकार ने शहर के हर गली, चौराहे आम रास्तो पर वालंटियर नियुक्त कर दिए जो वहां की जनता ही थी जिसने हर गतिविधि का ब्योरा अपने रजिस्टर में रिकॉर्ड किया और सरकार को पहुंचाया जिस से हर इंसान जो संभावित संक्रमित है उसकी पहचान तुरंत हो संभव हो सकी। और कोरोना वायरस की चैन को ताड़ने में अहम मदद मिली। जाहिर सी बात है की इस काम के लिए बहुत बड़ी मात्रा में स्थानीय निवासी, NGO , पुलिस और सेना की जरुरत पड़ी और उसे चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने बखूबी किया।
इस तरह से न केवल संक्रमित बल्कि उस से मिलने वाले सब व्यक्तियों को भी तुरंत ट्रैक और ट्रेस कर लिया गया जिस से उनका भी समय पर इलाज संभव हो सका। इसके अलावा सभी नागरिको को इस बात के बारे में भी खास तौर से बताया गया कि अगर किसी ने कोरोना के लिए बनाये गए नियम तोड़े तो उन पर कानूनी कार्यवाही कि जाएगी और उन्हें जेल भेज दिया जायेगा।
ग्रामीण इलाको में जहा आइसोलेशन सेंटरों कि कमी थी, वहां आनन् फानन में आइसोलेशन सेण्टर कि स्थापना कि गयी जिस से शहरो में अस्पतालों पर दबाव नहीं बना और स्वास्थय व्यवस्थाएं सुचारु रूप से चली।

चीन जहाँ से कोरोना महामारी की शुरुवात हुयी थी, ने बहुत ही कड़े उपाय करके कोरोना वायरस के प्रसार को रोका। बाद में इसे पूरी दुनिया ने भी अपनाया जैसे लॉक डाउन और कन्टेनमेंट जोन बनाना।

चीन ने WHO को इस वायरस के बारे में देरी से क्यों बताया ? (Why China delayed to informed WHO about Corona Virus)

WHO जो विश्व भर में हो रही हर तरह कि स्वास्थय सम्बंधित सूचनाओं को संकलित करता है और नए रीसर्च के जरिये बीमारियों के इलाज विकसित करता है, एक आधिकारिक संस्था है जो किसी भी बीमारी कि गम्भीरता को तय करता है।
एक बहस बहुत जोरो से छेड़ी गयी कि चीन ने बार बार कहने के बावजूद भी कोरोना वायरस से सम्बंधित आंकड़े जारी करने में लगभग 10 से 20 दिन का समय लगाया जिस के कारण इस रोग का प्रसार चीन से बाहर भी हो गया और ये एक वैश्विक महामारी बन कर सामने आया।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने सरकारी आंकड़ों के आधार पर इस बात का खुलासा किया है कि “चीन में किसी के पहले मामले में COVID-19 से पीड़ित होने का पहला मामला 17 नवंबर को आया था” और इस बात कि भी प्रबल सम्भावना जताई जा रही है कि यह बीमारी इस समाचार पत्र के द्वारा रिपोर्ट किये जाने के काफी समय पहले ही फ़ैलना शुरू हो गयी थी ।
वही विश्व स्वास्थय संगठन के अनुसार चीन में कोरोना वायरस का पहला मामला 8 दिसंबर को आया था। ये बात इसलिए है क्योंकि चीन ने तब तक सही आंकड़े मुहैया ही नहीं करवाए थे। चीन में सरकारी तंत्र पर सरकार का कड़ा पहरा है इसलिए कोई भी बात सरकार कि सहमति के बिना बाहर नहीं जाती है।
इस सम्बन्ध में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन पर बहुत कड़े हमले करते हुए अनेको मंचो से इस कि निंदा कि थी कि चीन के कारण सम्पूर्ण विश्व को कोरोना वायरस जैसी भयानक महामारी का सामना करना पड़ रहा है।
सम्पूर्ण दिसंबर के महीने में WHO के लगातार कहने के बावजूद, लगातार बढ़ते केसो के बावजूद और इस महामारी के मामले लगातार दूसरे देशो से आने के बावजूद भी चीन ने इस वैश्विक महामारी से सम्बंधित आंकड़े WHO को नहीं प्रदान किये। दिसंबर १५ को चीन ने WHO को सूचित किया कि वुहान शहर में निमोनिया के जैसे लगने वाले कुछ केस सामने आये है जिनकी वजह से लोग बीमार हो रहे है। इसके बाद दिसंबर के अंत तक जब इस महामारी के वैश्विक आंकड़े बढ़ने लगे और जब 4 जनवरी को WHO ने इस बीमारी को एक संक्रामक बीमारी का संकेत दिया तब जाकर चीन ने 14 को इस बीमारी के जीनोम सीक्वेंसिंग डाटा को शेयर किया। इसके बाद के आंकड़ों कि जब पड़ताल कि गयी तो पता लगा कि सम्पूर्ण विश्व एक भयंकर महामारी के चपेट में आ चूका है। आखिरकार एक लम्बी बहस, तर्क और वैज्ञानिक परिणामो के आधार पर मार्च 13 को इस बीमारी को एक महामारी घोषित किया गया। लेकिंग तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कोरोना वायरस ने ७० से भी अधिक देशो में अपने पाँव पसार लिए थे। भारत में भी इस बीमारी के 1000 से ज्यादा केस आ चुके थे।

हाँ, चीन ने इस बीमारी के आंकड़ों को जारी करने और विश्व को आगाह करने में जानबूझ कर और चालाकी से देरी की।

क्या इस वायरस को भारत और अमेरिका जैसे देशो के खिलाफ एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया ?

दो सप्ताह पहले, अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा प्राप्त दस्तावेजों का हवाला देते हुए मीडिया के कई संस्थानों ने इस बात की आशंका जताई की चीनी सैन्य वैज्ञानिकों ने कथित तौर पर COVID-19 महामारी आने के पांच साल पहले कोरोना वायरस नामक जैविक हथियार बना लिया था और चीन सरकार से इसे इस्तेमाल करने की इजाजत मांगी थी।
ब्रिटेन में ‘द सन’ (The Sun) अखबार के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया के ‘द ऑस्ट्रेलियन’ (The Australian) द्वारा पहली बार जारी की गई रिपोर्ट के हवाले से, जो कि लिए गए थे अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा प्राप्त “बमबारी” दस्तावेज से कथित तौर पर चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कमांडरों ने तीसरे विश्व युद्ध बात कि भयावह भविष्यवाणी करते हुए कोरोना वायरस को एक जैविक युद्ध के रूप में इस्तेमाल करने कि बात कही है।
अमेरिकन अधिकारियो ने इस बात के दस्तावेज जुटाए है जिसमे चीन के सीनियर मिलिट्री वैज्ञानिको ने सन २०१५ में SARS कोरोना वायरस को “नये ज़माने का जैविक हथियार” घोषित किया था।

Chinese scientists reportedly considered weaponising coronaviruses back in 2015
Coronavirus is known to have originated in the Chinese city of Wuhan. Photo: Internet sources

दरअसल कोरोना वायरस, एक बहुत बड़ी वायरस परिवार का एक मुख्य सदस्य है जो कि मनुष्यो को सांस सम्बन्धी से ग्रसित करता है। इसे विज्ञान कि भाषा में Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS) का नाम दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का भी हवाला दिया गया है कि 2003 में फैले सार्स वायरस को भी चीन ने जानबूझ कर बनाया था ।

चीन और अमेरिका विश्व के दोनो छोरो पर फैले दो ऐसे देश है जो हमेशा एक दूसरे को टक्कर देते रहते है । एक तरफ अमेरिका है जो महाशक्ति बनने का दवा करता है दूसरी तरफ चीन है जो अपनी दो अरब कि जनसँख्या वाले वर्कफोर्स और सस्ती टेक्नोलॉजी के दम पर हर दम अपने विरोधियो को आँखे दिखता रहता है। दोनों देशो में आपसी टकराव कोई नई बात नहीं है। पिछले कुछ सालो से दोनों देशो में राष्ट्रीयता कि भावना और व्यापर युद्ध बहुत तेज हो गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता सँभालने के बाद इस भावना को अधिक बल मिला जब उन्हें अमेरका फर्स्ट कि निति कि घोषणा की । इस का नुक्सान सीधा चीन को हुआ जिसकी टेक्नोलॉजी और लोग अमेरिका में जाकर काम करते थे। अमेरिकी कंपनियों में अमेरिकन लोगो की भर्ती होने लगी और इसका नुकसान सीधा चीन जैसे देशो को हुआ। साथ ही चीन ने जिन देशो को कर्ज दिया हुआ था उसे अमेरिका ने आर्थिक मदद करना शुरू किया तो चीन बौखला गया।

अब बात भारत की कर लेते है। चीन और भारत के बीच सन 1965 के युद्ध के बाद ही अप्रत्यक्ष रूप से युद्ध चल रहा है। चीन अपनी हद जानता है और ये भी जानता है की युद्ध में वो भारत के खिलाफ जीत नहीं सकता इस लिए हर वक्त भारत को निचा दिखाने के लिए अपनी नापाक हरकत करता रहता है । चीन के सैनिक कभी अरुणाचल तो कभी सिक्किम अपनी बेवकूफी भरी चल चलते रहते है और चीन की विस्तारवादी निति के अनुसार एक एक इंच जमीन हथियाने की नाकाम कोशिश करते रहते है। दूसरी और व्यापार के क्षेत्र में भारत और चीन दोनों एक दूसरे के प्रतिद्वंदी है। जहाँ चीन ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझोतो का लाभ उठा कर भारत में अपनी घटिया और सस्ती तकनिकी से बने सामानों से भारतीय बाजार को पाट दिया। चीन ने भारतीय बाजार पर अपना कब्ज़ा किस तरह से किया कि एक माध्यम परिवार में रसोई से लेकर डाइनिंग रूम, बड़ो से लेकर बच्चो तक कि सब चीजे चीनी सामान से भर गयी। इसका परिणाम ये हुआ कि भारतीय लघु और मझले उद्योगों पर गंभीर संकट आ गया। लेकिन हाल ही के वर्षो में भारत के द्वारा व्यापार के क्षेत्र में उठाये गए कदमो और भारतीय सामानों को इस्तेमाल करने के लिए जनता को जागरूक किये जाने का असर ये हुआ कि चीन के सामानों का बहिस्कार किये जाने लगा। चीन के सामानों कि खुले आम होली जलाई जाने लगी। और चीन इस आर्थिक नुक्सान को बर्दास्त नहीं कर पाया।
चूँकि चीन अब किसी भी देश के साथ प्रत्यक्ष युद्ध नहीं करना चाहता है इसलिए छद्म युद्ध के जरिये न केवल भारत बल्कि दुनिया के हर देश को परास्त करने के लिए इस तरह के जैविक युद्ध के जरिये कमजोर करने कि बहुत बड़ी घिनौनी साजिश रच डाली। परिणामस्वरूप आज हर देश इस अघोषित क्षत्रु के जूझ रहा है।

हाँ, ये मंडावा कनेक्ट ये मानता है कि चीन ने अपनी धौंस ज़माने के लिए कोरोना वायरस नामक हथियार का इस्तेमाल किया है ।

अगर ये एक मानव निर्मित वायरस है तो इसके पीछे चीन की क्या मंशा थी? (What is Chinese Intention behind spreading Corona Virus in the World?)

इस सदी के दूसरे दशक में दुनिया दो धुर्वो में दो नयी सरकारों का गठन हुआ। सन 2014 में भारत में बीजेपी ने सत्ता संभाली, जिसका नेतृत्व कर रहे थे श्री नरेंद्र मोदी और दूसरी और 2017 में अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी सत्ता संभाली । दोनों नेताओ में एक खास समानता है। दोनों ही नेता अपने राष्ट्रवादी दृष्टिकोण को लेकर एक दम साफ़ है। जहा अमेरिका फर्स्ट कि निति के साथ डोनाल्ड ट्रम्प ने काम करना शुरू किया वही भारत में नरेंद्र मोदी ने भारतीयों के मान सम्मान और भारत के स्वाभिमान के लिए मेक इन इंडिया कि शुरुवात की।

यहां पर हम अमेरिका की बात ना करते हुए केवल भारत, चीन और कोरोना वायरस के बारे में विचार करेंगे। जैसा की स्पष्ट है की चीन का केवल एक ही मकसद है कि विश्व में अपनी दादागिरी चलाना। इसके लिए चीन साम, दाम, दंड और भेद की निति पर चलता है। चीन अपनी तकनिकी समृद्धता, सस्ती वर्क फ़ोर्स और कच्चे माल की प्रचुर उपलब्धता के चलते विश्व की किसी भी तकनिकी की नक़ल करने में बहुत ही अध्भुत महारत रखता है। इस विशेषता के चलते हुए चीन ना केवल अमीर देशो को टक्कर देता है बल्कि उसके निशाने पर गरीब और विकासशील देश भी होते है। सबसे पहले वो गरीब देशो के साथ कूटनीतिक सम्बन्ध बनता है और फिर उन देशो को मदद के नाम पर अपनी शर्तो पर बहुत भरी कर्जा देता है। फिर उन देशो के बाजारों में अपना नकली और सस्ता माल से पाट देता है। सामान सस्ता होने के कारण उन देशो को लोग बहुत ही जल्द उन नकली सामानो के आदि हो जाते है और देश में बने उत्पादों को खरीदना बंद कर देते है। इस तरह से देश के अपने उद्योग धंधे बंद हो जाते है और वो देश चीन के चुंगल में फंस जाता है। अफ़्रीकी महाद्वीप के कई द्वीप इस बात का उदहारण है जिन्हे चीन ने अपने कर्ज के जाल में इस तरह से फंसा लिया है की वो अब चाह कर भी निकल नहीं पा रहे है। भारत को घेरने के लिए चीन ने बहुत ही शातिराना तरीके से दो तरफ़ा जाल बिछाया है इसमें छद्म रूप से भारत को कमजोर करना और भारत के पडोसी देशो में अपनी धाक जमाकर भारत को कूटनीतिक और सामरिक रूप से चारो तरफ से घेरना। उदाहरण के लिए श्रीलंका को लीजिये, हम्बनटोटा पोर्ट जो की श्रीलंका का एक महत्वपूर्ण पोर्ट है उसे ९९ साल के लिए सिर्फ और सिर्फ $1.12 बिलियन में कब्जे में ले लिया। (Source : The Diplomate) ऐसा ही कुछ पाकिस्तान के साथ किया है उसे Belt and Road Initiative (BRI) के नाम पर २२ बिलियन का कर्जा दिया और अपनी उंगलियों पर नचा रहा है। (Source : Hindustan times)। बांग्लादेश और नेपाल का हाल भी कुछ ऐसा है। (Source : Financial Express ).

चीन इस बात को अच्छी तरह से जनता है की भारत से सीधे युद्ध में कभी जीत नहीं सकता है इसलिए आये दिन सीमा पर भारत और चीन के सैनिको में झड़प की खबरे आती रहती है । सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश के गलवान घाटी की घटनाओ को देश अभी तक नहीं भुला है । इन घटनाओ के बाद भारतीयो द्वारा चीन के सामानो का बहिष्कार किये जाने के बाद चीन बोखला गया है। चीन भारत के द्वारा किये जाने वाले बहिष्कार को बर्दास्त नहीं कर पा रहा है क्योंकि भारत दुनिया में सबसे बड़ा देश है जहा चीन के माल की खपत होती है।


जब कोरोना वायरस जैसा घातक हथियार चीन के हाथ में लगा तो उसे इसका फायदा उठाने में देरी नहीं की। बहुत ही गुपचुप तरीके से इस वायरस को पुरे दुनिया में फैला दिया। चीन ने कोरोना वायरस के प्रसार पर बहुत ही जल्द नियंत्रण कर लिया। इसका कारण चीन ने कभी भी दुनिया को नहीं बताया कि जो वायरस पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है। बड़े बड़े साधन संपन्न देश जहाँ दूसरी और तीसरी लहार से जूझ रहे है वही चीन में इस बीमारी कि कोई दूसरी लहार नहीं आयी। चीन में कोरोना केस १ लाख से भी निचे पर सिमट कर रह गए।
वर्तमान में इस बात कि बहुत चर्चा है कि चीन ही इस वायरस की उत्पत्ति और प्रसार का स्त्रोत है। ऐसे में भारत और चीन के बीच जैविक युद्ध की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

कोरोना वायरस की पहली और दूसरी लहर में भारत की आर्थिक व्यवस्था नकारात्मक रही है। (पढ़े लेख) यानि जितनी कमाई हुयी उस से ज्यादा खर्चा सरकार और आम जनता को करना पड़ा है । इसका नुक्सान की भरपाई भारत को अपने मुद्रा भंडार में से धन निकाल कर या फिर दूसरे देशो से कर्ज लेकर करना पड़ेगा जिस से देश पर कर्ज का भार बढ़ेगा और देश विकास की दौड़ में पिछड़ेगा। लोगो की आमदनी कम होगी, लोग गरीबी और कर्ज के जाल में फंस कर रह जायेंगे। दूसरा, किसी भी देश का भविष्य उसकी वर्क फाॅर्स पर निर्भर होता है। यहाँ वर्क फाॅर्स का मतलब वो जनसँख्या जो देश की प्रगति में सहायक होती है इसमें १८ से ४० वर्ष के लोगो को गिना जाता है जो देश की रीढ़ मने जाते है और जिनके कारण देश के उद्योग धंधे चलते है। भारत की देश की पहली और दूसरी लहर में लगभत २० से ३० प्रतिशत आबादी का आयुवर्ग इस सीमा में आता है। और एक बार कोरोना से पीड़ित होने के बाद इंसान को वापस मुख्य धारा में आने के लिए काम से काम ६ महीने से ज्यादा का समय लग जाता है। और मुख्य धारा में आने के बाद भी इंसान को शारीरिक और मानसिक रूप से कई सारी परेशानियों से जूझना पड़ता है। इस तरह से अगर किसी देश की मुख्य कार्यकारी जनसँख्या अगर कमजोर हो जाती है तो उस देश की प्रगति रूक जाती है। भारत वर्तमान और भविष्य में कुछ इस तरह की समस्याओं से रूबरू होने वाला है।
भारत को हुए नुकसान का सीधा फायदा चीन जैसे को होगा क्योंकि वहाँ की वर्कफोर्स अभी इस बीमारी से बची हुयी है और तेजी से काम करने में सक्षम होगी और उत्पादन ज्यादा कर पायेगी। इस से चीन को दूसरे देशो में खास कर भारत में अपना माल ज्यादा मात्रा में भेजने में आसानी होगी।
इस तरह से चीन ने भारत ही नहीं बाकि दुनिया के साथ भी बिना लड़े एक बड़ी लड़ाई जीत ली है जिसके कारण वह अपनी दादागिरी और धाक ज़माने की कोशिश करेगा।

अब जब हम दूसरी लहर को पार कर दुबारा से सामान्य जीवन की और बढ़ रहे है तो इस बात को सोचने और समझने की बहुत जरूरत है की चीन द्वारा किये गए इस जैविक हमले को हम कैसे नाकाम कर पाएंगे। मंडावा कनेक्ट आप सभी से इस बात की अपील करता है की सरकार द्वारा जारी की गयी सभी गाइडलाइन्स का पालन करे और कोरोना के लिए देश में बनी वैक्सीन जरूर लगाये ।

भारत ना कभी हारा है और ना कभी हारेगा।

जय भारत
जय राजस्थान

World Anti-Terrorism Day


Lets put an end to the violation of human suffering by showing our unity against the heinous crime called terrorism.

आज विश्व आतंकवाद विरोधी दिवस पर हम सब भारत वासी ये शपथ लेते है।

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गिलोय के फायदे, नुकसान व औषधीय गुण (Benefits of Giloy & its Medicinal details (Properties) in Hindi)


गिलोय का परिचय (Introduction of Giloy)

आपने गिलोय के बारे में अनेक बातें सुनी होंगी और शायद गिलोय के कुछ फायदों के बारे में भी जानते होंगे, लेकिन यह पक्का है कि आपको गिलोय के बारे में इतनी जानकारी नहीं होगी, जितनी हम आपको बताने जा रहे हैं। गिलोय के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में बहुत सारी फायदेमंद बातें बताई गई हैं। आयुर्वेद में इसे रसायन माना गया है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।

गिलोय के पत्ते स्वाद में कसैले, कड़वे और तीखे होते हैं। गिलोय का उपयोग कर वात-पित्त और कफ को ठीक किया जा सकता है। यह पचने में आसान होती है, भूख बढ़ाती है, साथ ही आंखों के लिए भी लाभकारी होती है। आप गिलोय के इस्तेमाल से प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया रोग में लाभ ले सकते हैं। इसके साथ ही यह वीर्य और बुद्धि बढ़ाती है और बुखार, उलटी, सूखी खाँसी, हिचकी, बवासीर, टीबी, मूत्र रोग में भी प्रयोग की जाती है। महिलाओं की शारीरिक कमजोरी की स्थिति में यह बहुत अधिक लाभ पहुंचाती है।

गिलोय क्या है (What is Giloy?)

गिलोय का नाम तो सुना होगा लेकिन क्या आपको गिलोय की पहचान है कि ये देखने में कैसा होता है। गिलोय की पहचान और गिलोय के औषधीय गुण के बारे में जानने के लिए चलिये विस्तार से चर्चा करते हैं।

गिलोय अमृता, अमृतवल्ली अर्थात् कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है। इसके कोमल तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं। इस पर पीले व हरे रंग के फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसके पत्ते कोमल तथा पान के आकार के और फल मटर के दाने जैसे होते हैं।

यह जिस पेड़ पर चढ़ती है, उस वृक्ष के कुछ गुण भी इसके अन्दर आ जाते हैं। इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी जाती है। आधुनिक आयुर्वेदाचार्यों (चिकित्साशात्रियों) के अनुसार गिलोय नुकसानदायक बैक्टीरिया से लेकर पेट के कीड़ों को भी खत्म करती है। टीबी रोग का कारण बनने वाले वाले जीवाणु की वृद्धि को रोकती है। आंत और यूरीन सिस्टम के साथ-साथ पूरे शरीर  को प्रभावित करने वाले रोगाणुओं को भी यह खत्म करती है।

गिलोय की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें मुख्यतया निम्न प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।

  1. गिलोय (Tinosporacordifolia (Willd.) Miers)
  2. Tinosporacrispa (L.) Hook. f. & Thomson 3. Tinospora sinensis (Lour.) Merr. (Syn- Tinospora malabarica (Lam.) Hook. f. & Thomson)

अनेक भाषाओं में गिलोय के नाम (Giloy Called in Different Languages)

गिलोय का लैटिन नाम  टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया ( Tinospora cordifolia (Willd.) Miers, Syn-Menispermum cordifolium Willd.) है और यह मैनिस्पर्मेसी (Menispermaceae) कुल है। इसे इन नामों से भी जानी जाती हैः-

Giloy in –

  • Hindi (Giloy in Hindi) – गडुची, गिलोय, अमृता
  • English – इण्डियन टिनोस्पोरा (Indian tinospora), हार्ट लीव्ड टिनोस्पोरा (Heart leaved tinospora), मून सीड (Moon seed), गांचा टिनोस्पोरा (Gulancha tinospora);  टिनोस्पोरा (Tinospora)
  • Bengali (Giloy in Bengali) – गुंचा (Gulancha), पालो गदंचा (Palo gandcha), गिलोय (Giloe)
  • Sanskrit – वत्सादनी, छिन्नरुहा, गुडूची, तत्रिका, अमृता, मधुपर्णी, अमृतलता, छिन्ना, अमृतवल्ली, भिषक्प्रिया
  • Oriya – गुंचा (Gulancha), गुलोची (Gulochi)
  • Kannada – अमृथावल्ली(Amrutavalli), अमृतवल्ली (Amritvalli), युगानीवल्ली (Yuganivalli), मधुपर्णी (Madhuparni)
  • Gujarati – गुलवेल (Gulvel), गालो (Galo)
  • Goa – अमृतबेल (Amrytbel)
  • Tamil – अमृदवल्ली (Amridavalli), शिन्दिलकोडि (Shindilkodi)
  • Telugu – तिप्पतीगे (Tippatige), अमृता (Amrita), गुडूची (Guduchi)
  • Nepali – गुर्जो (Gurjo)
  • Punjabi – गिलोगुलरिच (Gilogularich), गरहम (Garham), पालो (Palo)
  • Marathi – गुलवेल (Gulavel), अम्बरवेल(Ambarvel)
  • Malayalam – अमृतु (Amritu), पेयामृतम (Peyamrytam), चित्तामृतु (Chittamritu)
  • Arabic – गिलो (Gilo)
  • Persian – गुलबेल (Gulbel), गिलोय (Giloe)
Giloy: The only Ayurvedic herb you need to boost your immunity | The Times  of India

गिलोय के फायदे (Giloy Benefits and Uses)

गिलोय के औषधीय गुण और गिलोय के फायदे बहुत तरह के बीमारियों के लिए उपचारस्वरूप इस्तेमाल किया जाता है लेकिन कई बीमारियों में  गिलोय के नुकसान से भी सेहत पर असर पड़ सकता है। इसलिए गिलोय का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और तरीका का सही ज्ञान होना ज़रूरी है-

आँखों के रोग में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy to Cure Eye Disease in Hindi)

गिलोय के औषधीय गुण आँखों के रोगों से राहत दिलाने में बहुत मदद करते हैं। इसके लिए 10 मिली गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद व सेंधा नमक मिलाकर खूब अच्छी प्रकार से खरल में पीस लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे अँधेरा छाना, चुभन, और काला तथा सफेद मोतियाबिंद रोग ठीक होते हैं।

गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़ा में एक ग्राम पिप्पली चूर्ण व शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आँखों की रौशनी बढ़ जाती है। गिलोय का सेवन करते समय एक बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि इसका सही मात्रा और सही तरह से सेवन करने पर ही गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) का सही तरह से उपकार आँखों को मिल सकता है।

कान की बीमारी में फायदेमंद गिलोय का प्रयोग (Uses of Giloy in Eye Disorder in Hindi)

गिलोय के तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर लें। इसे कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालने से कान का मैल (कान की गंदगी) निकल जाता है। कान के बीमारी से राहत पाने के लिए सही तरह से इस्तेमाल करने पर गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) मिल सकते हैं। गिलोय का औषधीय गुण बिना कोई नुकसान पहुँचाये कान से मैल निकालने में मदद करते हैं, इससे कानों को नुकसान भी होता है।

हिचकी को रोकने के लिए करें गिलोय का इस्तेमाल (Giloy Benefits to Stop Hiccup in Hindi)

गिलोय तथा सोंठ के चूर्ण को नसवार की तरह सूँघने से हिचकी बन्द होती है। गिलोय चूर्ण एवं सोंठ के चूर्ण की चटनी बना लें। इसमें दूध मिलाकर पिलाने से भी हिचकी आना बंद हो जाती है। गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) का सही मात्रा में उपयोग तभी हो सकता है जब आप उसका सही तरह से प्रयोग करेंगे।

टीबी रोग में फायदेमंद गिलोय का सेवन (Giloy Uses in T.B. Disease Treatment in Hindi)

गिलोय का औषधीय गुण टीबी रोग के समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करते हैं लेकिन इनको औषधि के रुप में बनाने के लिए इन सब चीजों के साथ मिलाकर काढ़ा बनाने की ज़रूरत होती है। अश्वगंधा, गिलोय, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा, पोहकरमूल तथा अतीस को बराबर भाग में लेकर इसका काढ़ा बनाएं। 20-30 मिली काढ़ा को सुबह और शाम सेवन करने से राजयक्ष्मा मतलब टीबी की बीमारी ठीक होती है। इस दौरान दूध का सेवन करना चाहिए। इसका सही तरह से सेवन ही यक्ष्मा (टीबी रोग) में गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) से पूरी तरह से लाभ उठा सकते हैं।

गिलोय के सेवन से उल्टी रुकती है (Benefits of Giloy to Stop Vomiting in Hindi)

एसिडिटी के कारण उल्टी हो तो 10 मिली गिलोय रस में 4-6 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे सुबह और शाम पीने से उल्टी बंद हो जाती है। गिलोय के 125-250 मिली चटनी में 15 से 30 ग्राम शहद मिला लें।

इसे दिन में तीन बार सेवन करने से उल्टी की परेशानी ठीक हो जाती है। 20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार के कारण होने वाली उलटी बंद होती है। अगर उल्टी से परेशान है और गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) का पूरा लाभ उठाने के लिए उसका सही तरह से सेवन करना

गिलोय के सेवन से कब्ज का इलाज  (Giloy is Beneficial in Fighting with Constipation in Hindi)

गिलोय के औषधीय गुणों के कारण उसको  10-20 मिली रस के साथ गुड़ का सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है। सोंठ, मोथा, अतीस तथा गिलोय को बराबर भाग में कर जल में खौला कर काढ़ा बनाएं। इस काढ़ा को 20-30 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से अपच एवं कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए  गिलोय का सही तरह से इस्तेमाल करना भी ज़रूरी होता है।

गिलोय के इस्तेमाल से बवासीर का उपचार (Giloy Uses in Piles Treatment in Hindi)

हरड़, गिलोय तथा धनिया को बराबर भाग (20 ग्राम) लेकर आधा लीटर पानी में पका लें। जब एक चौथाई रह जाय तो खौलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा में गुड़ डालकर सुबह और शाम पीने से बवासीर की बीमारी ठीक होती है। काढ़ा बनाकर पीने पर ही गिलोय के फायदे ( giloy ke fayde)पूरी तरह से मिल सकते हैं।

पीलिया रोग में गिलोय से फायदा (Giloy Benefits in Fighting with Jaundice in Hindi)

गिलोय के औषधीय गुण पीलिया से राहत दिलाने में बहुत मदद करते हैं। गिलोय के फायदे ‍का  लाभ उठाने के लिए सही तरह से प्रयोग करना भी ज़रूरी होता है।

  • गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर तथा छानकर सुबह के समय पीने से पीलिया ठीक होता है।
  • गिलोय के तने के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर पहनने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
  • पुनर्नवा, नीम की छाल, पटोल के पत्ते, सोंठ, कटुकी, गिलोय, दारुहल्दी, हरड़ को 20 ग्राम लेकर 320 मिली पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा को 20 मिली सुबह और शाम पीने से पीलिया, हर प्रकार की सूजन, पेट के रोग, बगल में दर्द, सांस उखड़ना तथा खून की कमी में लाभ होता है।
  • गिलोय रस एक लीटर, गिलोय का पेस्ट 250 ग्राम, दूध चार लीटर और घी एक किलो लेकर धीमी आँच पर पका लें। जब घी केवल रह जाए तो इसे छानकर रख लें। इस घी की 10 ग्राम मात्रा को चौगुने गाय के दूध में मिलाकर सुबह और शाम पीने से खून की कमी, पीलिया एवं हाथीपाँव रोग में लाभ होता है।

लीवर विकार को ठीक करता है गिलोय (Giloy Helps in Liver Disorder in Hindi)

18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम अजमोद, 2 नग छोटी पीपल एवं 2 नग नीम को लेकर सेक लें। इन सबको मसलकर रात को 250 मिली जल के साथ मिट्टी के बरतन में रख दें। सुबह पीस, छानकर पिला दें। 15 से 30 दिन तक सेवन करने से लीवन व पेट की समस्याएं तथा अपच की परेशानी ठीक होती है।

डायबिटीज की बीमारी में करें गिलोय का उपयोग (Uses of Giloy in Control Diabetes in Hindi)

गिलोय जिस तरह डायबिटीज कंट्रोल करने में फायदेमंद होता है लेकिन जिन्हें कम डायबिटीज की शिकायत हो, उन्हें गिलोय के नुकसान से सेहत पर असर भी पड़ सकता है।

  • गिलोय, खस, पठानी लोध्र, अंजन, लाल चन्दन, नागरमोथा, आवँला, हरड़ लें। इसके साथ ही परवल की पत्ती, नीम की छाल तथा पद्मकाष्ठ लें। इन सभी द्रव्यों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर, छानकर रख लें। इस चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे डायबिटीज में लाभ होता है।
  • गिलोय के 10-20 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से भी डायबिटीज में फायदा होता है।
  • एक ग्राम गिलोय सत् में 3 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से डायबिटीज में लाभ मिलता है।
  • 10 मिली गिलोय के रस को पीने से डायबिटीज, वात विकार के कारण होने वाली बुखार तथा टायफायड में लाभ होता है।

मूत्र रोग (रुक-रुक कर पेशाब होना) में गिलोय से लाभ (Giloy Cures Urinary Problems in Hindi)

गुडूची के 10-20 मिली रस में 2 ग्राम पाषाण भेद चूर्ण और 1 चम्मच शहद मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार सेवन करने से रुक-रुक कर पेशाब होने की बीमारी में लाभ होता है।

गठिया में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy in Arthritis Treatment in Hindi)

गिलोय  के 5-10 मिली रस अथवा 3-6 ग्राम चूर्ण या 10-20 ग्राम पेस्ट या फिर 20-30 मिली काढ़ा को रोज कुछ समय तक सेवन करने से गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) पूरी से मिलते हैं और गठिया में अत्यन्त लाभ होता है। सोंठ के साथ सेवन करने से भी जोड़ों का दर्द मिटता है।

फाइलेरिया (हाथीपाँव) में फायदा लेने के लिए करें गिलोय का प्रयोग (Giloy Uses in Cure Filaria in Hindi)

10-20 मिली गिलोय के रस में 30 मिली सरसों का तेल मिला लें। इसे रोज सुबह और शाम खाली पेट पीने से हाथीपाँव या फाइलेरिया रोग में लाभ होता है।

गिलोय से कुष्ठ (कोढ़ की बीमारी) रोग का इलाज (Giloy Benefits in Leprosy Treatment in Hindi)

10-20 मिली गिलोय के रस को दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित पिलाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

बुखार उतारने के लिए गिलोय से लाभ (Giloy is Beneficial in Fighting with Fever in Hindi)

  • 40 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह मसलकर, मिट्टी के बरतन में रख लें। इसे 250 मिली पानी मिलाकर रात भर ढककर रख लें। इसे सुबह मसल-छानकर प्रयोग करें। इसे 20 मिली की मात्रा दिन में तीन बार पीने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है।
  • 20 मिली गिलोय के रस में एक ग्राम पिप्पली तथा एक चम्मच मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से पुराना बुखार, कफ, तिल्ली बढ़ना, खांसी, अरुचि आदि रोग ठीक होते हैं।
  • बेल, अरणी, गम्भारी, श्योनाक (सोनापाठा) तथा पाढ़ल की जड़ की छाल लें। इसके साथ ही गिलोय, आँवला, धनिया लें। इन सभी की बराबर-बराबर लेकर इनका काढ़ा बना लें। 20-30 मिली काढ़ा को दिन में दो बार सेवन करने से वातज विकार के कारण होने वाला बुखार ठीक होता है।
  • मुनक्का, गिलोय, गम्भारी, त्रायमाण तथा सारिवा से बने काढ़ा (20-30 मिली) में गुड़ मिला ले। इसे पीने अथवा बराबर-बराबर भाग में गुडूची तथा शतावरी के रस (10-20 मिली) में गुड़ मिलाकर पीने से वात विकार के कारण होने वाला बुखार उतर जाता है।
  • 20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिला ले। इसके अलावा छोटी कटेरी, सोंठ तथा गुडूची के काढ़ा (20-30 मिली) में पिप्पली चूर्ण मिलाकर पीने से वात और कफज विकार के कारण होने वाला बुखार, सांस के उखड़ने की परेशानी, सूखी खांसी तथा दर्द की परेशानी ठीक होती है।
  • सुबह के समय 20-40 मिली गुडूची के चटनी में मिश्री मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।
  • गुडूची, सारिवा, लोध्र, कमल तथा नीलकमल अथवा गुडूची, आँवला तथा पर्पट को समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा में चीनी मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।
  • बराबर मात्रा में गुडूची, नीम तथा आँवला से बने 25-50 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार की गभीर स्थिति में लाभ होता है।
  • 100 ग्राम गुडूची के चूर्ण को कपड़े से छान लें। इसमें 16-16 ग्राम गुड़, मधु तथा गाय का घी मिला लें। इसका लड्डू बनाकर पाचन क्षमता के अनुसार रोज खाएं। इससे पुराना बुखार, गठिया, आंखों की बीमारी आदि रोगों में फायदा होता है। इससे यादाश्त भी बढ़ती है।
  • गिलोय के रस तथा पेस्ट से घी को पकाएं। इसका सेवन करने से पुराना बुखार ठीक होता है।
  • बराबर मात्रा में गिलोय तथा बृहत् पञ्चमूल के 50 मिली काढ़ा में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण तथा 5-10 ग्राम मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा गुडूची काढ़ा को ठंडा करके इसमें एक चौथाई मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा आप 25 मिली गुडूची रस में 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण तथा 5-6 ग्राम मधु मिला भी पी सकते हैं। इससे पुराना बुखार, सूखी खाँसी की परेशानी ठीक होती है और भूख बढ़ती है।
  • गुडूची काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बुखार की गंभीर स्थिति में लाभ होता है। बुखार के रोगी को आहार के रूप में गुडूची के पत्तों की सब्जी शाक बनाकर खानी चाहिए।
  • पतंजलि की गिलोय घनवटी का सेवन करने से भी लाभ होता है।

एसिडिटी की परेशानी ठीक करता है गिलोय (Giloy Cure Acidity in Hindi)

  • गिलोय के 10-20 मिली रस के साथ गुड़ और मिश्री के साथ सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है।
  • गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा अथवा चटनी में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से एसिडिटी की समस्या ठीक होती है
  • इसके अलावा 10-30 मिली काढ़ा में अडूसा छाल, गिलोय तथा छोटी कटोरी को बराबर भाग में लेकर आधा लीटर पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। ठंडा होने पर 10-30 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से सूजन, सूखी खांसी, श्वास तेज चलना, बुखार तथा एसीडिटी की समस्या ठीक होती है।

कफ की बीमारी में करें गिलोय का इस्तेमाल(Giloy is Beneficial in Cure Cough in Hindi)

गिलोय को मधु के साथ सेवन करने से कफ की परेशानी से आराम मिलता है।

स्वस्थ ह्रदय के लिए गिलोय का सेवन फायदेमंद (Giloy is Beneficial for Healthy Heart)

काली मिर्च को गुनगुने जल के साथ सेवन करने से सीने का दर्द ठीक होता है। ये प्रयोग कम से कम सात दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।

कैंसर में फायदेमंद गिलोय का उपयोग (Giloy is Beneficial in Cancer in Hindi)

स्वामी रामदेव के पतंजलि आश्रम में अनेक ब्लड कैंसर के रोगियों पर गेहूँ के ज्वारे के साथ गिलोय का रस मिलाकर सेवन कराया गया। इससे बहुत लाभ हुआ। आज भी इसका प्रयोग किया जा रहा है और इससे रोगियों को अत्यन्त लाभ होता है।

लगभग 2 फुट लम्बी तथा एक अगुंली जितनी मोटी गिलोय, 10 ग्राम गेहूँ की हरी पत्तियां लें। इसमें थोड़ा-सा पानी मिलाकर पीस लें। इसे कपड़े से निचोड़ कर 1 कप की मात्रा में खाली पेट प्रयोग करें। पतंजलि आश्रम के औषधि के साथ इस रस का सेवन करने से कैंसर जैसे भयानक रोगों को ठीक करने में मदद मिलती है।

गिलोय के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Giloy?)

काढ़ा – 20-30 मिली

रस – 20 मिली

अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार इस्तेमाल करें।

गिलोय के सेवन का तरीका (How to Use Giloy?)

  • काढ़ा
  • रस

गिलोय के नुकसान (Side Effects of Giloy)

गिलोय के लाभ की तरह गिलोय के नुकसान भी हो सकते हैंः-

गिलोय डायबिटीज (मधुमेह) कम करता है। इसलिए जिन्हें कम डायबिटीज की शिकायत हो, वे गिलोय का सेवन न करें।

इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

गिलोय कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Giloy Found or Grown?)

यह भारत में सभी स्थानों पर पायी जाती है। कुमाऊँ से आसाम तक, बिहार तथा कोंकण से कर्नाटक तक गिलोय मिलती है। यह समुद्र तल से लगभग 1,000 मीटर की ऊँचाई तक पाई जाती है।

विशेष नोट

उपरोक्त समस्त जानकारी पतंजलि आयुर्वेद के पूजनीय आचार्य श्री बालकृष्ण जी द्वारा दी गयी और इसे प्रसारित करने का उद्देश्य आमजन में गिलोय औषधि के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी का प्रसार करना है। उपरोक्त लेख को प्रकाशित करने में किसी भी प्रकार व्यसायिक स्वार्थ निहित नहीं है। कॉपीराइट एक्ट के तहत मंडावा कनेक्ट जिम्मेदारी से इस लेख कि कॉपीराइट समन्धित शर्तो का सम्मान करता है और भविष्य में किसी भी प्रकार कि विवाद कि स्थिति में इस लेख को अपनी साइट से हटाने के लिए प्रतिबद्ध है ।

देश को लॉक डाउन की तरफ ले जाते भारत के लोग


आखिरकार हमने लगातार अपनी लापरवाही के चलते देश को एक बार फिर से लॉक डाउन की तरफ ले कर जा रहे है। आखिर क्या ऐसी मजबूरी है जिसके कारण हम अपनी अपने परिवार की और अपने पुरे देश को खतरे में डाल रहे है, जान जोखिम में डाल रहे है । आखिर क्या ऐसी मजबूरी है जिसके चलते हमने अपने साथ पुरे देश में गंभीर आर्थिक संकट पैदा कर दिया है। क्या आपको पता है की लॉक डाउन की वजह से पिछले साल लगभग ११ लाख लोगो की नौकरी चली गयी थी और वे लोग गरीबी रेखा के निचे चले गए है। Source : Moneycontrol.com

क्या अपने कभी सोचा है की किसी आप के लिए रोज अख़बार के नंबर किसी के माता -पिता भाई -बहिन है कभी एक बार शमशान जाकर देखिये, उन रोते बिलखते लोगो को देखिये जिन्होंने अपनों को खोया है। जिन्हे अपने परिजनों को मौत होने के बाद एक बार आखिरी दर्शन भी नसीब नहीं हुए है । कभी सोच कर देखिये उन परिवारों के बारे में जिनका पूरा परिवार ख़तम हो गया और उनके छोटे छोटे बच्चो की परवरिश करने वाला अब कोई नहीं है । अपनी आत्मा पर हाथ रख कर एक बार उनके भविष्य के बारे में सोचिये कि उनकी जिंदगी अब कैसे चलेगी ।

अगर इतना पढ़ने सुनने और देखने के बाद भी आपका दिल नहीं पसीजता है तो एक बार बिना मास्क निकलिये और जरा आपके नजदीकी पुलिस थाने के सामने से बिना मास्क निकल कर देखिये और जब हाथ में २ हज़ार का चालान होगा तो दीजियेगा केंद्र सरकार और राज्य सरकार को गाली। फिर सोशल मीडिया पर एक दो पोस्ट मोदी या फिर आपके राज्य के मुख्यमंत्री जी के विरोध में डाल कर सो जाइएगा।

क्योकि आप को ये बात तभी समझ में आएगी जब आप इस बीमारी कि चपेट में आएंगे, आपकी साँस उखड़ेगी और भगवान नजर आएंगे। और भगवान ना करे कि आपको कुछ हो जाये तो आपके परिवार कि देखभाल कौन करेगा। जरा इस बारे में गंभीरता से सोचिये ।

India Shutdown Chain And Padlock Lock Down, With India Flag Stock  Illustration - Illustration of crisis, clip: 176814680

मंडावा कनेक्ट इस संकट कि घडी में आप सभी लोगो से हाथ जोड़ कर अपील करता है कि आप राज्य सरकार द्वारा बताये गए निर्देशों का पालन करे और सुरक्षित अपने घरो में रहे । ये मुश्किल समय है, बीत जायेगा और जिंदगी फिर मुस्कुराएगी।

एक तो कोरोना, उस पर पानी की किल्लत, कहाँ से धोये हाथ


पूरा देश आज कोरोना महामारी की चपेट में है। पुरे देश में रोजाना लगभग चार लाख से ज्यादा नए कोरोना मरीज सामने आ रहे है। दो लाख से ज्यादा लोग इस महामारी की चपेट में आकर अपनी बहुमूल्य जान गवां चुके है। खास बात ये है की इस बार इस महामारी का जोर गावों में बहुत ज्यादा है। अमूमन हर गांव में लोग खांसी और बुखार से जूझ रहे है । राजस्थान के झुंझुनू जिले से चिंता जनक खबरे ये भी आ रही है कि इस बार गावों में लोग कोरोना बीमारी का शिकार होकर अपनी जान गँवा रहे है । झुंझुनू ग्रामीण जिसमे मलसीसर बिसाऊ और मंडावा के क्षेत्र आते है, इन गावो में इस बार इस बीमारी का प्रकोप बहुत जोरो पर है । पिछले सप्ताह झुंझुनू के छापोली गांव में एक साथ 7 लोगो कि मौत के बात प्रशासन ने जब गांव में मेडिकल टीम भेज कर टेस्टिंग करवाई तो लगभग ३५ लोगो में इस बीमारी कि पुष्टि हुयी। आननफानन में गांव को सील किया गया और इलाज शुरू किया गया, अभी बीमारी कण्ट्रोल नहीं हुयी है और 2 और लोगो कि मौत कि खबर आयी है , हालाँकि प्रशासन इसे कोरोना से मौत नहीं मन रहा है। ऐसा ही वाकया ग्राम महनसर में सामने आया था ।

मंडावा के निकटवर्ती गांव तेतरा में भी कमोबेश हालत इसी तरह के है , लगभग हर घर में लोग बुखार और खांसी से पीड़ित है और ऊपर से सितम ये हुआ कि गांव के मुख्य कुए जिसके जरिये गांव को पानी कि सप्लाई होती थी , उसकी मोटर जल गयी। आज लगभग तीन दिन हो चुके है, इसका कोई समाधान नहीं निकला जा सका है , इस बार लॉक डाउन में मोटर वाइंडिंग कि दुकाने नहीं खुलने कि वजह से मोटर को ठीक नहीं करवाया जा सका है। ग्राम के ही सेवाभावी श्री राधेश्याम जी ने गांव वालो के साथ मिलकर मोटर को कुए से निकल कर बहार तो रख दी है लेकिन लॉक डाउन के प्रोटोकॉल के कारन उसे ठीक नहीं करवा पा रहे है। वही गांव में कुम्भाराम लिफ्ट योजना के तहत आने वाला पानी ६ माह से नहीं आ रहा है । ग्राम वासियो का कहना है कि शायद पाइपलाइन में किसी पेड़ कि जड़ फंस जाने के कारण पानी आना बंद हो गया है।

Will Covid-19 force India to face up to its water crisis? | The Third Pole

इस संकट के समय में गांव के भामाशाह श्री प्रताप सिंह शेखावत ने अपने खेत में लगे कुए में से पानी का पाइप लगाकर इसका आस्थयी समाधान निकलने की कोशिश की है लेकिन ये भी इस भीषण गर्मी और कोरोना के कारण नाकाफी है।
मंडावाकनेक्ट इस संकट के समय में पंचायत समिति सदस्यों , प्रधान जी , यहाँ की लोकप्रिय सांसद रीटा चौधरी , माननीय सांसद मोहदय श्री नरेंदर कुमार और बाकि जिम्मेदार व्यक्तियों से अपील करता है की ग्राम वासियो को इस संकट के समय में मदद मुहया करवाए और तुरंत नयी मोटर लगवा कर इस समस्या का समाधान करे।
निचे देखे वीडियो जो की मंडावा न्यूज़ अपडेट पेज से साभार लिया गया है।

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